सास्ती कॉलरी कोयला खदान कर्मचारी पत संस्था द्वारा 5 लाख का लोन देकर 10 लाख का दिखाकर ब्याज के साथ वसूला।

 



सास्ती कॉलरी कोयला खदान कर्मचारी पत संस्था द्वारा 5 लाख का लोन देकर 10  लाख का दिखाकर ब्याज के साथ वसूला।

राजुरा ( राज्य रिपोर्टर ) : वेकोली बल्लारपुर क्षेत्र के भिन्न-भिन्न विभागों में कार्य करने वाले वेकोली कर्मचारि जो आर्थिक रुप से परेशान होने वाले कर्मचारियों को आर्थिक स्थिती  से भरपूर सुविधा मिलने के लिए वेकोली से एफीलेट किया गया ( सास्ती कॉलरी कोयला खदान कर्मचारी पत संस्था ) में देखने को मिल रहा है कि सास्ती भूमिगत खदान में काम करने वाले अधिकांश कर्मचारी अशिक्षित होते हैं और नासमझ होने के चलते ऐसे लोगों के अज्ञानता को देख फायदा उठाने वाले व्यवस्थापक बैंक कर्मी  के सभी मिली जुली भगत के चलते आर्थिक परिस्थिति को दूर करने के वजह से आए ऐसे भुक्तभोगी व्यक्ति को 10 लाख का लोन लिया गया कागज पत्रों पर हस्ताक्षर करवाकर उन्हें मात्र 5 लाख रुपयों का रक्कम दीया। भुक्तभोगी के वेतन पर्ची से ब्याज के साथ पैसा कटौती किए जाने से यहां भुक्तभोगी के ध्यान में आने पर पथ संस्था के व्यवस्थापक को पूछताछ करने पर असली रहस्य सामने में आया। 

                       यहां देखने को मिल रहा है कि सास्ती कॉलरी कोयला खदान कर्मचारी पत संस्था में एक सदस्य ने अपनी जरूरतों को लेकर 5 लाख का लोन लिया था। लेकिन उसका लोन 10 लाख दिखाकर वह आधा पैसा स्वयं संस्था के व्यवस्थापक ने हड़प लिया। जब भुक्तभोगी के वेतन पर्ची के माध्यम से काटा गया लोन का प्रति माह अकड़ा देखने से वह पत संस्था से पूछा और आवाज उठाई तब तक तो काफी देर हो चुकी थी। जैसा कि ब्याज दर के रूप में 80 हजार का चुना लग चुका था तब भुक्तभोगी की आवाज दबाने के लिए उन्हें पुन्हा 5 लाख रुपया दिया गया फिर बताया गया कि 10 लाख रुपयों का लोन को दिखाया गया।

                        पत संस्था के माध्यम से जिस किसी भी सदस्य को लोन दिया जाता है लोन मंजूर किया जाता है। स्वयं लोन लेने वाले को तो वह लोन की रकम चेक पत संस्था द्वारा सीडीसीसी बैंक का दिया जाता है। लेकिन, यह इस चेक को यहां के व्यवस्थापक मनोज मिश्रा स्वयं ही बैंक जाते हैं वहां रकम उठाकर संबंधित लोन लेने वाले को देते हैं। यह लोन देने के लिए कमीशन के साथ साथ अतिरिक्त राशि भी हड़प लेते है ऐसा कहा जाता है।

                        विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार सय्यद शहजाद नामक ने अपने लोन लेने से संबंधित विवरण व्यवस्थापक अध्यक्ष सचिव से मांगा तो उनके द्वारा कंप्यूटर कृत विवरण की प्रति उन्हें देने में टाल मटोल किया जाने से बात यह पता चला कि इस संस्था में लगभग सन 2019 से अब तक 2 से अधिक सालों से चल रही हेरा फेरी होने का धंधा दिखने में आया।

                       जैसा कि सुदर्शन गायकवाड को 10 जून 2019 को 6 लाख का लोन दिया गया जिसे 10 लाख का बना दिया गया। बाद में 2 लाख रुपया चार महीने के बाद दिया गया इसका ब्याज सुदर्शन गायकवाड़ को मनोज मिश्रा के अपने वेतन से दिया गया। सकम मंकू का 10 लाख का लोन लिया गया लेकिन उस पर 10 लाख 77 हजार का लोन जमा किया गया उसकी रसीद तक नहीं दी गई उसके बाद उन्हे परेशान किया जा रहा है। मनोज एरेपेली ने लोन तो नहीं लिया परंतु स्टेटमेंट मांगने का सबको अधिकार होता है जबकी मनोज एरेपेली ने हिसाब मांगा तो हिसाब और स्टेटमेंट भी नहीं दिया गया इससे यहां बल्लारपुर क्षेत्र में इस विषय को लेकर हड़कंप मच गया है।








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