वन जड़ी बूटियों का पेड़ लगाकर आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण का जन्मदिन मनाया।

 

वन जड़ी बूटियों का पेड़ लगाकर आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण का जन्मदिन मनाया।

राजूरा ( राज्य रिपोर्टर ) : पतंजलि योग समिति भारत स्वाभिमान संगठन महिला पतंजलि योग समिति और अन्य संबद्ध संगठन, ता. राजुरा, जिला चंद्रपुर द्वारा आयुर्वेद आचार्य बालकृष्ण महाराज के जन्म दिवस के अवसर पर वन उद्यान राजुरा में एक छोटा सा कार्यक्रम आयोजित कर वन औषधीय वृक्ष लगाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजूरा विधानसभा क्षेत्र पूर्व विधायक सुदर्शन भाऊ नीमकर ने की एवं मुख्य अतिथि के रूप में अविनाश जाधवजी पूर्व जिला परिषद सदस्य, भाजपा नेता सतीश धोटे, न. प. राजुरा के शिक्षा अध्यक्ष राधेश्याम अडानिया, वनपाल प्रकाश मत्ते, भारत स्वाभिमान संगठन के सह जिला प्रभारी एम.के. सेलोटे, वन रेंजर एसआर चौबे की मौजूदगी रही।

                         आयुर्वेद आचार्य श्री बालकृष्ण का जन्म ४ अगस्त १९७२ को हरिद्वार उत्तराखंड भारत में हुआ। उन्होंने संस्कृत में आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी-बूटियों के ज्ञान में निपुणता प्राप्त की और इसका प्रचार-प्रसार का कार्य करते रहे हैं। उनका जन्म दिवस जड़ी-बूटी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि योगपीठ के आयुर्वेद केंद्र के माध्यम से पारंपरिक आयुर्वेद पद्धति को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। बालकृष्ण ने आयुर्वेदिक औषधियों से सम्बंधित कई पुस्तकें भी लिखी है जैसे की आयुर्वेद सिद्धान्त रहस्य, आयुर्वेद जड़ी-बूटी रहस्य, भोजन कौतुहलम्, आयुर्वेद महोदधि, अजीर्णामृत मंजरी, विचार क्रांति ( नेपाली ग्रंथ ) इन पुस्तकों की रचना की है।

                        इस अवसर पर पूर्व विधायक श्री सुदर्शन भाऊ नीमकर अपने अध्यक्षीय संभाषण में पतंजलि योग समिति राजूरा की उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशंसा की जिसके पश्चात गणमान्य व्यक्तियों और योग साधकों ने जड़ी-बूटी दिवस के अवसर पर जड़ी-बूटी पौधारोपण कर जड़ी-बूटी दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम का संचालन भारत स्वाभिमान संघठन  तालुका प्रभारी पुंडलिक जी उराडे ने की, देवीदास कुईटे ने आभार व्यक्त किया, इस कार्यक्रम का मार्गदर्शन हरीभाऊ डोरलीकरजी, अँड मेघाताई धोटे, एवं गणमान्यो ने की। इस अवसर पर वरिष्ठ नागरिक सुभाष रामगीरवारजी और उद्धव लांडेजी उपस्थित थे। साथ ही मिलिंदजी गड्डमवार, अंजलि गुंडावार, ओमप्रकाश गुंडावार, नीता बोरिकर, रेखचंदजी बोरीकर, नलिन झाड़े, भावना भोयर, पुष्पा गिरडकर, अनिल चौधरी आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। मनोरम वातावरण में अल्पाहार के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।








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