तेलुगू भाषिक नागरिकों को 50 साल का पुरावा शर्त को हटाकर इन्हें जाति प्रमाण व वैधता प्रमाण पत्र देने की मांग


तेलुगू भाषिक नागरिकों को 50 साल का पुरावा शर्त को हटाकर इन्हें जाति प्रमाण व वैधता प्रमाण पत्र देने की मांग 

राजूरा ( राज्य रिपोर्टर ) : चंद्रपुर जिला के बल्लारपूर , राजूरा, कोरपाना, जीवती तालुका के तेलुगु भाषिक  नागरिकों से 50 साल का पुरावा शर्त को हटाकर एससी/एस टी/एन टी, ओ. बी. सी. नागरिकों को जाति प्रमाण एवं जाति वैधता प्रमाण पत्र देने की मांग सास्ती ग्राम पंचायत सदस्य श्री. राजकुमार भोगा ने विधानसभा लोक लेखा समिति अध्यक्ष तथा पुर्व वित्त मंत्री विधायक मा. सुधीर भाऊ मुनगंटीवार को ज्ञापन पत्र के माध्यम से मांग की।

                       चंद्रपुर जिले के बल्लारपूर ,राजूरा, कोरपाना, जीवती तालुका में बसे हुए तेलुगू समुदाय के लोगों से जाति प्रमाण पत्र व जाति वैधता प्रमाणपत्र लेने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा रखी गई शर्त सन 1950 के पूरावा को हटाकर इसके स्थान पर सन 1961-62 को साक्ष्य के रूप में जारी करने की मांग की। राजुरा तालुका के तेलुगु समुदाय नागरिक कई पीडियो से अपने अधिकारों से वंचित है। नॉन लोकल के चलते अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित होना पड़ रहा है, विद्यार्थीयों को कास्ट सर्टिफिकेट एवं कास्ट वैलिडिटी सर्टिफिकेट नहीं रहने के कारण उच्च शिक्षा से भी वंचित होना पड़ रहा है। उनकी आगे की उच्च शिक्षा प्राप्त करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

                     महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के जाने-माने बल्लारशाह मानिकगढ़ मध्य रेलवे स्टेशन बल्लारपूर,  राजूरा,कोरपना,जीवती, यह तीनों तालुका सन 1948 में आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिला के असीफाबाद तालुका में आता था। पोलो एक्शन द्वारा 17 सितंबर 1948 को निज़ाम शासन से आजादी मिली। उस समय राजूरा तालुका आंध्र प्रदेश में था। आंध्र प्रदेश की मूल भाषा तेलुगु है और उपरोक्त तीनों तालुका के रहनेवाले तेलुगु समुदाय यहां के मूल निवासी है।

                    सन 1952 के पहले आम चुनाव में राजूरा आंध्र प्रदेश में था और यहां के पहले विधायक बने मा. श्री. लक्ष्मणराव बापूजी कोंडा इनका मूल गांव लक्कड़कोट राजूरा असीफाबाद संयुक्त विधानसभा क्षेत्र से चुने गए थे। तेलुगु भाषियों का सन 1952 के पहले आम चुनाव में तैयार की गई मतदाता सूची में तीनों तालुका के लोगों के नाम भी शामिल थे। परंतु यह सूची सरकार के पास सबूत के तौर पर उपलब्ध ही नहीं है।

                   भारत में भाषा राज्य 1 नवंबर 1956 को अस्तित्व में आया, महाराष्ट्र राज्य का गठन 1960 में हुआ था। 17 सितंबर 1948 को राजूरा, कोरपाना,जीवती, के सभी 3 तालुको में निजाम मुक्ति संग्राम दिवस को अधिकारिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है। ग्राम पंचायत अधिनियम 1961-62 का ग्राम पंचायत प्रमाण स्वीकार किया जाना चाहिए।बल्लारपूर , राजूरा, कोरपाना,जीवती, तालुका में बड़ी संख्या में तेलुगु भाषी जनता रहती है बहुत से लोग यहां काम करते हैं और अन्य व्यवसाय भी करते हैं उन्हें 1950-52 के सीएमपीएफ डब्ल्यूसीएल अभिलेख में एक तेलुगु भाषा कर्मचारी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। परंतु वर्धा नदी में आयी भीषण बाड़ मे कई अधिकांश अभिलेख तबाह हो गये।

                   सास्ती कॉलरी के तेलुगु प्राइमरी हाई स्कूल निजाम काल 1953 से चल रहा है। उनके दाखल खारीज व जन्म पंजीकरण के लिए टीसी स्वीकार किया जाना चाहिए। तेलुगु विद्यार्थियों को वैधता प्रमाण पत्र की कमी के कारण आगे की शिक्षा नहीं ले सकता है और स्थानीय निकाय चुनाव भी यहां तेलुगु भाषी नागरिकों द्वारा नहीं लड़ सकता है। सन 1950 के दशक के साक्ष्य राजूरा, कोरपाना, और जीवती जी.प. टीसी में जन्मतिथि का प्रमाण स्वीकार किया जाना चाहिए अन्यथा उनके लिए एक विशेष मामले के रूप में जब से महाराष्ट्र में ग्राम पंचायत अस्तित्व में आयी है अर्थात 1961-62 के ग्राम पंचायत अधिनियम के बाद से जाति और जाति वैधता प्रमाण पत्र के प्रमाण को स्वीकार्य माना जाना चाहिए। ऐसी मांग बल्लारपूर , राजूरा, कोरपना, जीवती तालुका के समस्त एस/सी, एस/टी, एन/टी ओ.बी.सी. तेलुगू नागरिकों द्वारा मांग की जा रही है।







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1 Comments

  1. ఇది నిజమైన ప్రశ్న వ్రాసినారు కాబట్టి మన తెలుగు వాళ్లకు న్యాయం జరగాలి మాది సిరోంచ తాలూకా గడ్చిరోలి జిల్లా

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